कृषि विज्ञान केन्द्र बड़गांव में किया गया विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम का आयोजन
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बालाघाट | 05-दिसम्बर-2020
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दिनांक 05 दिसंबर 2020 को कृषि विज्ञान केन्द्र, बड़गांव, बालाघाट में विष्व मृदा दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. आर.एल. राऊत के मार्गदर्षन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि जनपद पंचायत किरनापुर के उपाध्यक्ष श्री हिम्मतलाल गढ़वंषी, अनुविभागीय अधिकारी कृषि बालाघाट श्री पी.एल. कोरी एवं 56 किसानों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. आर.एल. राऊत द्वारा मृदा का महत्व को बताते हुए जैंसे एक मां एक बच्चे को स्वस्थ्य रखती हैं। इसी प्रकार धरती मां को स्वस्थ्य रखता हैं। इनके स्वास्थ्य के लिए लघु एवं सूक्ष्म पोषक तत्व की आवष्यकता हेतु जैविक खादों का प्रयोग करें एवं मृदा को स्वस्थ्य बनायें। घुड़े से खाद कैंसे बनाये जाए इसकी विधि के बारे में बताया। घुड़ें को सड़ाने के लिए वेस्ट-डिकम्पोजर का प्रयोग करें जिससे किसान के घुड़े से खाद जल्दी बनाया जा सकता हैं। इसका उपयोग खेत में करें जिससे खेत में खरपतवार नहीं होते हैं और फसल में प्रतिस्पर्धा कम होती हैं। जिससे फसलों से अधिक उत्पादन किया जा सकता हैं। कार्यक्रम में बताया गया कि बायोडिम्पोजर बनाने के लिए 200 लीटर पानी, 2 किलो गुड़, 2 किलो बेसन एवं बायोडिकम्पोजर की डिब्बी ले इन चीजों को लेकर एक ड्रम में घोलना हैं। यह डिकम्पोजर सात दिन में तैयार हो जाता हैं। इसका उपयोग कचरा सड़ाने में प्रयोग करें। डॉ. राऊत ने किसानों के लिए तीन विधेयकों के बारे में बताते हुए कहा कि किसान अपनी फसलों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में ले जाकर बेच सकता हैं। इस बिल के द्वारा किसानों का भुगतान 36 दिनों में करना आवष्यक होता हैं। जिससे किसानों को असुविधा से बचाया जा सकता हैं। प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी कृषि बालाघाट श्री पी.एल. कोरी ने कार्यक्रम में बताया कि भूमि में जैविक खादों का उपयोग कर फसलों में कीड़े और बीमारियों के प्रकोप को कम किया जा सकता हैं। जैविक खाद बनाने की कई विधियों से जैविक खाद बनाई जा सकती हैं। जैविक पेस्टीसाईट बनाकर इसका प्रयोग करें जिससे फसलों को रोग व कीट से बचाया जा सकें। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार जाटव ने मृदा दिवस पर मृदा का परीक्षण के महत्व को बताया कि मृदा परीक्षण करें जिससे किसानों को पता चल जायेगा की हमारे खेत में कौनसी पोषक तत्वों की कमी हैं। मृदा परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर उर्वरक देने से मृदा का स्वस्थ्य भी ठीक रहेगा और किसान की लागत में भी कमी आयेगी। इसके साथ-साथ एवं उर्वरक के महत्व पर चर्चा की। जनपद पंचायत किरनापुर के उपाध्यक्ष श्री हिम्मतलाल गढ़वंषी ने किसानों को खेती की उन्नतषील तकनीकों अपनाये तो एक अच्छा उत्पादन किया जा सकें और किसान यदि कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा बतायों गयी उन्नत तकनीक को अपनायें जिससे मृदा को स्वस्थ्य रखा जा सकें। रोग एवं कीटों से फसल को बचाया जा सकता हैं। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एस.आर. धुवारे का इस कार्यक्रम का संचालन किया गया एवं बालाघाट के किसानों को गोबर की खाद का उपयोग एवं महत्व को समझाया जिससे मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान किए जा सकें। इन्होनें इस कार्यक्रम में स्कील डेवलपमेंट के अंतर्गत प्रषिक्षण लिए हुए विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र का वितरण भी किया गया। इस कार्यक्रम में 22 कृषि महिलाएं एवं 26 किसानों इसके साथ ही कृषि विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में केन्द्र के डॉ. बी.के. प्रजापति, डॉ. एम.पी. इंगले, श्री सुखलाल वास्केल, श्री धर्मेन्द्र आगाषे, कुमारी अंजना गुप्ता, श्री जितेन्द्र मर्सकोले एवं श्री जितेन्द्र नगपुरे ने मृदा स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान की।
(50 days ago)
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