
गंभीर और भयावाह जलवायु परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए पर्यावरण को बचाने के लिए 11 साल लंबी यात्रा पर निकले आईआईटी बाम्बे के प्रोफेसर डॉ. चेतन सिंह सोलंकी ने आज शाजापुर में अपने पड़ाव के दौरान जिला मुख्यालय के शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय एवं पंण्डित बालकृष्ण शर्मा नवीन महाविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सौर उर्जा को अधिक से अधिक अपनाने के लिए एनर्जी स्वराज अभियान चला रहे हैं, इसे जन आंदोलन बनाना होगा। प्रो. सोलंकी स्वयं द्वारा मॉडिफाय की सोलर बस से पूरे देश का भ्रमण कर रहे हैं।
प्रो. डॉ. सोलंकी के शाजापुर आगमन पर कलेक्टर श्री दिनेश जैन ने पुष्पगुच्छ से स्वागत किया। प्रो. डॉ. सोलंकी ने कहा कि जितने हम आधुनिक हो रहे हैं उतना ही हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आधुनिक होने के साथ-साथ हमारी आदतें खराब हो गई है। हम अपनी विलासिता के लिए अधिक से अधिक एनर्जी का उपयोग कर रहे हैं। इस कारण हमारा पर्यावरण बिगड़ रहा है। उन्होंने बताया कि एक यूनिट विद्युत उत्पादन के लिए एक किलोग्राम कार्बन-डायऑक्साईड का उत्सर्जन होता है। इस कार्बन डायऑक्साईड को खत्म होने में 50 साल लगते हैं। विद्युत उत्पादन में पेट्रोल, डीजल एवं कार्बन का उपयोग होता है। इस तरह केवल विद्युत उत्पादन से ही बड़ी मात्रा में कार्बनडायआक्साईड उत्सर्जित हो रही है। इससे ग्रीन हाउस पर प्रभाव पड़ा है और ग्लोबल वार्मिंग का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज का सिद्धांत दिया था। महात्मा गांधी ने कहा कि व्यक्ति अपनी जरूरतों को सीमित रखे। दुनिया में जरूरत के हिसाब से सभी चीजें उपलब्ध हैं, किन्तु अधिक मात्रा में संग्रहण के लिए नहीं। सोलर टेक्नोलॉजी से उर्जा की आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है। संस्थाए या कोई भी व्यक्ति अपना विद्युत कनेक्शन कटवाकर सोलर आधार पर अपनी उर्जा स्वयं पैदा कर सकते हैं। इससे विद्युत उत्पादन से पैदा होने वाले कार्बनडायऑक्साईड में कमी आयेगी और पर्यावरण में सुधार आयेगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए अधिक से अधिक सोलर एनर्जी का उपयोग करें। सोलर एनर्जी पैदा करने में बहुत ज्यादा खर्च नहीं होता है और न ही कोई बड़ी टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है। इसके लिए स्वसहायता समूहों एवं अन्य स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसके कारण शीत ऋतु में ठंड नहीं पड़ रही है। वही गर्मी में बहुत तेज गर्मी होती है। वर्षा नहीं होती। बर्फ के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इसके कारण हमारा अस्तित्व ही खतरे में है।

इसके पूर्व कलेक्टर श्री जैन ने प्रो. डॉ. सोलंकी का परिचय कराते हुए उनके द्वारा किये गये कार्यों पर प्रकाश डाला। कलेक्टर ने कहा कि प्रो. डॉ. सोलंकी ने नया कांसेप्ट एनर्जी स्वराज लेकर आए हैं। आज हम जिस उर्जा का उपयोग कर रहे हैं उससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए हमें सोलर एनर्जी की ओर कदम बढ़ाना होगा। आज हम अपने आनंद के लिए पर्यावरण की चिंता नहीं करते, लोगों ने बड़े-बड़े वाहन खरीद लिए हैं। इस कारण कार्बन उत्सर्जन की मात्रा बढ़ गई है। हमें कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन के साथ-साथ साईकिल आदि का उपयोग करना चाहिये।
एनर्जी स्वराज यात्रा बस का अवलोकन कलेक्टर श्री जैन के साथ-साथ अनुविभागीय अधिकारी श्री एसएल सोलंकी एवं विद्यालय तथा महाविद्यालय के स्टाफ एवं विद्यार्थियों ने किया। इस बस में सारा काम सौर उर्जा के द्वारा ही संपन्न किया जाता है। इस दौरान उन्होंने कलेक्टर के साथ पौधारोपण भी किया।
इसके उपरांत प्रो. डॉ. सोलंकी ने कलेक्टर सभागृह में वीसी के माध्यम से चल रही जनसुनवाई में हिस्सा लेते हुए ग्राम पंचायतों के सरपंचो एवं आमजन को भी संबोधित किया। इसके उपरांत उन्होंने शाजापुर नगर के मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए एनर्जी स्वराज यात्रा के उद्देश्य से अवगत कराया।
कलेक्टर ने सोलर एनर्जी से चार्ज साईकिल चलाकर देखी
एनर्जी स्वराज यात्रा में प्रो. डॉ. सोलंकी द्वारा सोलर एनर्जी से चार्ज होने वाली लायी गई साईकिल को कलेक्टर श्री दिनेश जैन ने चलाकर देखा। कलेक्टर ने साईकिल पसंद करते हुए कहा कि इस तरह की साईकिल के उपयोग से डीजल-पेट्रोल पर होने वाले व्यय से बचा जा सकता है।
प्रो. डॉ. चेतन सिंह सोलंकी- परिचय
प्रो. डॉ. चेतन सिंह सोलंकी का जन्म मध्य प्रदेश का जिला खरगोन में नेमित नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके प्राथमिक विद्यालय में उस समय सिर्फ एक कक्षा और एक शिक्षक थे। स्वयं केरोसिन लैंप के प्रकाश में अध्ययन करने के बाद, प्रो. डॉ. सोलंकी अब सभी को स्वच्छ प्रकाश और स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अपनी पी. एच.डी. बेल्जियम के IMEC (Ketholik University) लेउवेन, से की है जो माइक्रो और नैनो-इलेक्ट्रॉनिक्स में एक अग्रणी आर एंड डी और इनोवेशन का हब है।
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के प्रमुख सौर परियोजनाओं का नेतृत्व किया है जैसे कि नेशनल सेंटर फॉर फोटोवोल्टिक रिसर्च और शिक्षा (NCPRE), जो कि अग्रणी अनुसंधान केंद्रों में से एक है और अपने सोलर ऊर्जा थ्रू लोकलाइजेशन फॉर सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव (SoULS) के माध्यम से 8.5 मिलियन परिवारो तक पहुंचे है। प्रो. डॉ. सोलंकी ने 7 पुस्तकें लिखी हैं, जो अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 100 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित करती हैं, और उनके श्रेय में 4 अमेरिकी पेटेंट हैं। सौर उद्योग में उनका योगदान बहुत अधिक रहा है।
गांधीवादी आदर्शों का पालन करते हुए, उन्होंने "ऊर्जा स्वराज" शब्द प्रेरित किया है और "एनर्जी स्वराज: माई एक्सपेरिमेंट्स विद सोलर दूथ" पुस्तक में अपने विचार व्यक्त किए हैं। जलवायु परिवर्तन शमन में ठोस कार्रवाई करने की उनकी इच्छा ने उन्हें दुनिया भर में गांधी ग्लोबल सोलर यात्रा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जन-आन्दोलन के माध्यम से दुनिया भर में एनर्जी स्वराज की स्थापना करने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन एनर्जी स्वराज फाउंडेशन की स्थापना की है। उनका एनर्जी स्वराज आंदोलन ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा स्थिरता और जलवायु परिवर्तन शमन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डॉ. सोलंकी द्वारा गंभीर और भयावह जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर, सौर ऊर्जा को शतप्रतिशत अपनाने की दिशा में जन आंदोलन बनाने के उद्देश्य से 2020-2030 तक के लिए 11 साल लंबी एनर्जी स्वराज यात्रा शुरू की गई है। हाल ही में, उन्हें माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश के सौर ऊर्जा के ब्रांड एंबेसडर के खिताब से सम्मानित किया गया है।