नवजात शिशु मृत्यु दर में प्रभावी कमी लाने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। नवजात शिशुओं का जीवन बचाने के लिये सरकार ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप करने का निर्णय भी लिया है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और आईएपी (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक) के मध्य अहम करार (एमओयू) हुआ है। प्रदेश के स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल और आईएपी के सचिव डॉ. जी.वी. बसावराजा ने शुक्रवार को ग्वालियर में “नवजात शिशु पुनर्जीवन” विषय पर हुई कार्यशाला में इस एमओयू (मेमोरेण्डम ऑफ अंडर स्टेंडिंग) पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम ग्वालियर के कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संस्थान के शीतला सहाय ऑडिटोरियम में हुआ।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल ने बताया कि नवजात शिशु मृत्यु दर रोकने के उद्देश्य से हुए एमओयू के तहत प्रथम चरण में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के 6 जिलों के 180 डिलेवरी प्वॉइंट (संस्थागत प्रसव केन्द्र) के चिकित्सकों, स्टाफ नर्स, एएनएम एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को “नवजात शिशु पुनर्जीवन” विषय पर एक वर्ष तक प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षण ऑनलाइन होगा और इसकी डिजिटल मॉनीटरिंग की जायेगी। साथ ही विशेषज्ञों द्वारा इसका मूल्यांकन भी किया जायेगा। पायलट प्रोजेक्ट में चयनित जिलों में श्योपुर, छतरपुर, पन्ना, दमोह, शहडोल और उमरिया शामिल हैं।
राष्ट्रीय स्तर के फैकल्टी मेम्बर ने दिया प्रशिक्षण
नवजात शिशु पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में विभिन्न जिलों से आए 48 शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण में देश भर के सुप्रतिष्ठित संस्थानों से आए शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों के 19 फैकल्टी मेम्बर्स ने विभिन्न सत्रों में नवजात शिशुओं का जीवन एवं उन्हें तमाम व्याधियों से बचाने के तरीके बताए।
51वीं एमपी पेडीकॉन 2021 का भी हुआ उदघाटन
कार्यक्रम में 51वीं एमपी पेडीकॉन 2021 का औपचारिक शुभारंभ भी किया गया। शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों की इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में मध्यप्रदेश के 250 शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। नेशनल फैकल्टी मेम्बर्स भी इसमें अपने व्याख्यान देंगे।