
भिण्ड जिले के ग्राम बबेडी की रहने वाली कु.वर्षा राजावत बताती हैं कि बी.ए. तक पढाई करने के बाद भी मन में चिन्ता बनी रहती थी कि मैं बेरोजगार हूं एवं परिवार के ऊपर बोझ हूं। क्योंकि रोजगार के कोई अवसर नहीं प्राप्त हो रहे थे एवं मेरे पिता श्री रणवीर सिंह राजावत गंभीर बीमारी से ग्रसित थे एवं पिता जी के अतिरिक्त घर में कमाने वाला अन्य कोई बडा सदस्य नहीं था, जिस कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय हो गई थी।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा ग्राम में सीआरपी के द्वारा समूह गठन का कार्य किया गया। फिर मैं दक्षिणी वाली माता आजीविका स्व-सहायता समूह से जुडी। समूह से जुडने के बाद मुझे आजीविका मिशन द्वारा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की जानकारी प्राप्त हुई। मेरे द्वारा योजनान्तर्गत ऋण लेने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया कुछ दिन बाद ही मुझे मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के माध्यम से एक लाख रूपए का व स्व-सहायता समूह से 50 हजार का ऋण मिला।
कु.वर्षा ने बताया कि मिले लोन से मैंने लैपटॉप, स्कैनर, प्रिन्टर और फिंगर प्रिन्ट खरीदा और डिजिटल कॉमन सर्विस सेंटर शुरू किया, सर्विस सेंटर चलाने के साथ-साथ आज मैं बैंक सखी के रूप में भी कार्य कर रही हूं। अब मुझे सर्विस सेंटर के माध्यम से 10 से 12 हजार रूपए प्रतिमाह मिल जाते हैं, अब मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मैं लोन की किस्त चुकाने साथ-साथ अपने छोटे भाई- बहन की पढाई व पिताजी का इलाज भी अच्छे से करा पा रही हूं।
कु.वर्षा का कहना है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एक बहुत अच्छी योजना है जिसका मैं स्वयं लाभ ले चुकी हूं। आज मैं आत्मनिर्भर हूं, इस योजना से मैं इस काबिल हुई हूं कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीणजन को भी दे पा रही हूं। अतः मुझ जैसे शिक्षित बेरोजगारों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार जैसी योजना बनाने के लिए मैं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व स्व-सहायता समूह को धन्यवाद देती हूं।