
कहते है जहॉ चाह हैं वहॉ राह है, ऐसी एक चाहत जिले की तहसील पथरिया बांसा के पास ग्राम हिनौता निवासी युवा कृषक चंदन सिंह सोलंकी को लेमन ग्रास खेती की राह पर ले आयी। युवा कृषक बी.एस.सी (एग्रीकल्चर) से पढ़े चंदन सिंह सोलंकी ने शासकीय सेवा या अन्य निजी कंपनियों को महत्व नहीं दिया, बल्कि स्वयं की खेती को व्यवसायिक रूप से करने का मन बनाया, वे स्वयं एवं अपने आस पास के अन्य कृषकों को तकनीकी जैविक खेती की ओर अग्रसर करना चाहते थे, जिसमें वे सफल भी हुये।
चंदन सिंह जैविक तरीके से लेमन ग्रास की खेती कर रहे है। लेमन ग्रास (नीबू घास) सुगंधीय पौधों में एक महत्वपूर्ण पौधा है। जिसके पत्तों से तेल निकाला जाता है, इस तेल का उपयोग औषधी के निर्माण, उच्च कोटी के इत्र बनाने एवं विभिन्न सौदर्य प्रसाधानों में किया जाता है। साबुन निर्माण में भी इसे काम में लाया जाता है, इस तेल का उत्पादन करने का मुख्य कारण इसमें पाये जाने वाला साईट्रल सांद्रण है। देश में विटामिन ए के संश्लेषण के लिये नीबू तेल की मांग काफी है।
चंदन सिंह बताते है कि उनके द्वारा स्वयं 2.50 एकड़ क्षेत्र में 250 क्विंटल लेमन ग्रास का उत्पादन लिया जा रहा है, जिसे प्रसंस्कृत करने के बाद 250 लीटर तेल का उत्पादन लिया जाता है। जिसकी कीमत 1100 प्रति लीटर के मान से खेत से विक्रय की जा रही है। जिसकी वर्षभर में प्रति हेक्टर 2 लाख 75 हजार की कीमत होती है। जिसमें 50 हजार अधिकतम लागत आती है। इस फसल को जानवर पक्षी आदि भी नुकसान नहीं पहुँचाते, साथ ही एक बार रोपण करने के उपरांत पॉच वर्ष तक साल में 3-4 कंटिग फसल की प्राप्त की जा सकती है। कृषक श्री चंदन सिंह लखनऊ तथा एफ.एफ.डी.सी. कनौज से फसल की ट्रेनिंग लेने के उपरांत सफल रूप से उत्पादन ले रहे है एवं स्वयं के खेत पर सी.एस.आई.आर. सीमेप की सहायता से लेमन ग्रास की प्रोसेसिंग हेतु आसवन प्लांट लगवाया है जिससे स्वयं की एवं अन्य कृषकों की फसल को स्थानीय स्तर पर प्रंसस्कृत किया जा सके।
चंदन सिंह के साथ आज जिले के हटा, पथरिया, दमोह के अन्य कृषक लगभग 40 एकड़ में लेमन ग्रास की खेती कर रहे है। इस कार्य में तकनीकी मार्गदर्शन एवं आवश्यक सहयोग श्री रोहित शर्मा प्रोजेक्ट असिस्टेंट सीमेप लखनऊ तथा नीरज सिंह दांगी ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पथरिया का रहा है।
यश कुमार सिंह सहायक संचालक उद्यान बताते है कि जिले में अन्य कृषक भी औषधीय एवं संगुधित फसलों की खेती कर सकते है एवं खेती को लाभ का धंधा बना सकते है। जिस हेतु शासन द्वारा प्रंसस्करण इकाई स्थापित करने पर आत्म निर्भर भारत योजना के तहत बैंक गारंटी एवं 3 प्रतिशत ब्याज पर अनुदान देय है।