अचानक तापमान में गिरावट होने के कारण पाला पड़ने की संभावना
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कृषि विभाग ने पाला एवं कीटव्याधि से रबी फसलों के बचाव के लिए किसानों को दी सलाह
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दमोह | 27-जनवरी-2021
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कलेक्टर श्री तरूण राठी द्वारा दिये गए निर्देशों के तहत उप संचालक कृषि राजेश कुमार प्रजापति ने कहा जिले में अचानक तापमान में हुई गिरावट को देखते हुए रबी फसलों में शीतलहर या पाला पडने की संभावना बन रही है। इस हेतु कृषक बंधुओं को पाला से बचाव के लिए फसलों में हल्की सिंचाई करना चाहिए। उत्तर-पश्चिम दिशा में मेड़ पर आग जलाकर धुंआ करना चाहिए। थायो यूरिया 500 ग्राम मात्रा को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे, अथवा 8-10 किलो सल्फर पाउडर प्रति एकड़ का भुरकाव करें। घुलनशील सल्फकर 3 ग्राम पानी में घोलकर या गंधक अम्ल 0.1 प्रतिशत घोल का फसलों में छिड़काव करने से पाला की समस्या से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने कृषक बन्धुओं को सलाह दी है कि, चने में कटुवा इल्ली के नियंत्रण हेतु इमामेक्टिन वेन्जोऐट 5 SG 100 ग्राम /एकड तथा 20 से 25 टी आकार की खूटिया खेत में अलग-अलग स्थानों पर लगाये ताकि परभक्षी पक्षी खेत में बैठकर इल्ली को खाकर नष्ट कर सकें। कुछ जगह पर गेहू में भी इल्ली का प्रकोप देखा गया है इसके नियंत्रण हेतु इमामेक्टिन वेन्जोऐट 5 SG 100 ग्राम /एकड छिड़काव करें। मसूर एवं सरसों में माहूं के नियंत्रण हेतु थायोमेथाक्साम 25 WG 100 ग्राम /एकड़ या 10 किलो लकड़ी की राख में 100 मि.ली. मिट्टी का तेल मिलाकर खेत में छिड़काव कर मांहू को नियंत्रित किया जा सकता है। चने में जड़ सड़न रोग के नियंत्रण हेतु पायराक्लोस्ट्रोविन 13.3% + इपोजाइकोनाजोल 5% एस.ई. (व्यापारिक नाम उपेरा) या टेबूकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्राविन 25% डब्लू.जी. (व्यापारिक नाम नाटीवो) नामक कवकनाशी की 300 से 400 मि॰ली॰ मात्रा प्रति एकड़़ मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उप संचालक कृषि बताया कि, मौसम परिवर्तन के कारण गेंहू में फफूंदजनित रोगों के लगनें की संभावना बड़ जाती है। इन रोगों के नियंत्रण के लिए सुरक्षात्मक उपाय की दृष्टि से गेंहू की खडी फसल में फफूंदनाशी औषधी टेबुकोनाजोल 250 मिली मात्रा प्रति एकड की दर 200-250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकांव करें।
(28 days ago)
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