
यदि कोई बीमार व्यक्ति ए.एन.एम. द्वारा चिकित्साधिकारी को रेफर किया जाता है, तो आशा को उसका फॉलोअप करने अथवा उसके साथ स्वास्थ्य इकाई तक जाने की आवश्यकता रहती है। आशा का यह प्रमुख कार्य है कि वह यह सुनिश्चित करें कि वह सभी व्यक्ति, जिन्हें ए.एन.एम. द्वारा स्वास्थ्य इकाई पर जाने को कहा गया है, चिकित्सक के द्वारा उनकी वास्तव में जांच की जाए। यह प्रशिक्षण मार्मिक ढंग से यहाँ गैर संचारी रोगों पर केन्द्रित लोक स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सम्पन्न हुए प्रशिक्षण सत्र के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया।
प्रशिक्षण के दौरान आशाओं को समझाया गया कि एक आशा के रूप में उनको ऐसे लोगों का समूह बनाने का प्रयास करना चाहिए, जिनका उच्च रक्तचाप, मधुमेह या किसी प्रकार के कैंसर का इलाज हुआ हो या चल रहा हो। मरीज, मित्र, परिवार, ग्राम स्तरीय प्रथम पंक्ति के कार्यकर्ता, एक दूसरे को साथ लेकर मरीज की सहायता करना प्रारंभ कर सकते हैं। मरीज की सहायता के लिए सहयोगी समूह बनाने हेतु किसी प्रकार की डॉक्टर उपाधि की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए दया, करुणा की आवश्यकता होती है। साथ बैठकर वे एक दूसरे के प्रति संवेदनषीलता प्रकट कर सकते हैं।
मरीज सहायता समूह, मरीज एवं उनके परिवार के सदस्यों को आपसी सहयोग प्रदान करने, बीमारी के सम्बंध में जानकारी प्रदान करने, जटिलताओं के संबंध में जागरूक करने, भेदभाव से मुकाबला करने एवं किसी विशेष बीमारी (जिससे कलंक जुड़ा है) उसका उपचार जारी रखने के लिये समर्थन देने व जीवन शैली तथा व्यवहार में परिवर्तन करने में सहायता करता है। एक आशा के रूप में आशा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह व्यक्ति जो वंचित समुदाय से हो तथा बीमारी की स्थिति में हो, उसे भी सहयोगी समूह का अंग बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जाए। आशा ऐसे मरीज से सबसे पहले बात करें तथा उसे बतायें कि ऐसे समूह का हिस्सा बनने का क्या लाभ है? तब वह 2-3 लोगों और उनके परिवारों, मित्रों और सक्षम लोगों की नियमित बैठक कर समूह प्रारंभ कर सकते हैं। धीरे-धीरे लोग स्वतः जुड़ने लगेंगे।
इन सभी रोगों में कई बातें समान हैं, विशेष कर परिवर्तनीय जोखिम के कारकों में जैसे-आहार, शारीरिक गतिविधियां, तम्बाकू एवं शराब का सेवन। स्वास्थ्य प्रोत्साहन के प्रयासों से इन सभी को प्रभावित किया जा सकता है। स्वास्थ्य प्रोत्साहन, गैर-संचारी रोगों की रोकथाम के प्रयासों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आशाओं को समझाया गया कि इसमें शुरु में कठिनाईयां आएंगी, क्योंकि व्यवहार में परिवर्तन मुश्किल होता है। लेकिन धैर्य एवं अभ्यास से लोगों की मदद करने से उनका (आशा का) आत्मविश्वास बढ़ जाएगा। इससे समुदाय में उनकी विश्वसनीयता एवं भरोसा भी बढ़ जाएगा।